Bhagwati prasad vajpayee biography in hindi
बहत ह मठ सवर क सथ वह गलय म घमत हआ कहत- "बचच क बहलनवल, खलनवल
इस अधर वकय क वह ऐस वचतर.
बचच खलन दखकर पलकत ह उठत व पस लकर खलन क मलभव करन लगत पछत-इछक दम कय ह? औल इछक? औल इछक?
रय वजयबहदर क बचच भ एक दन खलन लकर घर आए व द बचच थ चनन और मनन! चनन जब खलन ल आय त बल मल घल कछ छदल ऐ!"
मनन बल औल दख, मल कछ छदल ऐ!"
दन अपन हथ-घड लकर घरभर म उछलन लग इन बचच क म रहण कछ दर तक खड-खड उनक खल नरखत रह अत म दन बचच क बलकर उसन पछ-" अर ओ चनन-मनन, य खलन तमन कतन म लए ह?"
मनन बल- द पछ म खलनवल द गय ऐ
रहण सचन लग-इतन ससत कस द गय ह? कस द गय ह, यह त वह जन लकन द त गय ह ह, इतन त नशचय ह!
एक ज़र स बत ठहर रहण अपन कम म लग गई फर कभ उस इस पर वचर करन क आवशयकत भ भल कय पडत!
छ महन बद -
नगरभर म द-चर दन स एक मरलवल क आन क समचर फल गय लग कहन लग- भई वह! मरल बजन म वह एक ह उसतद ह मरल बजकर, गन सनकर वह मरल बचत भ ह, स भ द-द पस म भल, इसम उस कय मलत हग? महनत भ त न आत हग! be
एक वयकत न पछ लय-"कस ह वह मरलवल, मन त उस नह दख !" उततर मल-"उमर त उसक अभ अधक न हग, यह तस-बततस क हग दबल-पतल गर यवक ह, बकनर रगन सफ बधत ह" "वह त नह; ज पहल खलन बच करत थ?"
'कय वह पहल खलन भ बच करत थ?"
"ह, ज आकर-परकर तमन बतलय, उस परकर क वह भ थ"
"त वह हग पर भई, ह वह एक उसतद"
परतदन इस परकर उस मरलवल क चरच हत परतदन नगर क परतयक गल म उसक मदक, मदल सवर सनई पडत-बचच क बहलनवल, मरलय वल"
रहण न भ मरलवल क यह सवर सन तरत ह उस खलनवल क समरण ह आय उसन मन-ह-मन कह-खलनवल भ इस तरह ग-गकर खलन बच करत थ
रहण उठकर अपन पत वजय बब क पस गई- जर उस मरलवल क बलओ त, चनन -मनन क लए ल ल कय पत यह फर इधर आए, न आए व भ, जन पडत ह, परक म खलन नकल गए ह'
वजय बब एक समचर पतर पढ रह थ उस तरह उस लए हए व दरवज पर आकर मरलवल स बल-कय भई, कस तरह दत ह मरल?"
कस क टप गल म गर पड कस क जत परक म ह छट गय, और कस क सथन (पजम) ह ढल हकर लटक आई ह इस तरह दडत हफत हए बचच क झड आ पहच एक सवर स सब बल उठ-अम ब लद मलल और अम व लद मलल"
मरलवल हरष-गदगद ह उठ बल-सबक दग भय! लकन जर रक, ठहर, एक-एक क दन द अभ इतन जलद हम कह लट थड ह जएग
बचन त आए ह ह और ह भ इस समय मर पस एक-द नह, पर सततवन ह, बब ज, कय पछ थ आपन, कतन म द!द त वस तन-तन पस क हसब स ह, पर आपक द-द पस म ह द दग"
वजय बब भतर-बहर दन रप म मसकर दए मन-ह-मन कहन लग कस ह! दत त सबक इस भव स ह, पर मझ पर उलट एहसन लद रह ह फर बल-तम लग क झठ बलन क आदत हत ह दत हग सभ क द-द पस म, पर एहसन क बझ मर ह ऊपर लद रह ह"
मरलवल एकदम अपरतभ ह उठ बल आपक कय पत बब ज क इनक असल लगत कय ह यह त गरहक क दसतर हत ह क दकनदर चह हन उठकर चज कय न बच, पर गरहक यह समझत ह-दकनदर मझ लट रह ह आप भल कह क वशवस करग? लकन सच पछए त बब ज, असल दम द ह पस ह आप कह स द पस म य मरल नह प सकत मन त पर एक हज़र बनवई थ, तब मझ इस भव पड ह "
वजय बब बल-"अचछ. मझ जयद वकत नह, जलद स द ठ नकल द"
द मरलय लकर वजय बब फर मकन क भतर पहच गए मरलवल दर तक उन बचच क झड म मरलय बचत रह! उसक पस कई रग क मरलय थ बचच ज रग पसद करत. मरलवल उस रग क मरल नकल दत
'यह बड अचछ मरल ह तम यह ल ल बब, रज बब तमहर लयक 44 त बस यह ह ह भय, तमक वह दग य ल तमक वस न चहए, यह नरग रग क, अचछ, वह ल ल आए पस? अचछ, य ल तमहर लए मन पहल ह स यह नकल रख थ! तमक पस नह मल तमन अमम स ठक तरह मग न हग धत पकडकर पर म लपटकर, अमम स पस मग जत ह बब! ह, फर जओ अबक बर मल जएग दअनन ह? त कय हआ, य ल पस वपस ल ठक ह गय न हसब? मल गए पस? दख, मन तरकब बतई! अचछ अब त कस क नह लन ह? सब ल चक? तमहर म क पस पस नह ह? अचछ, तम भ यह ल अचछ, त अब म चलत ह इस तरह मरलवल फर आग बढ गय
आज अपन मकन म बठ हई रहण मरलवल क सर बत सनत रह आज भ उसन अनभव कय, बचच क सथ इतन पयर स बत करनवल फरवल पहल कभ नह आय फर वह सद भ कस ससत बचत ह! भल आदम जन पडत ह समय क बत ह, ज बचर इस तरह मर-मर फरत ह पट ज न करए, स थड!
इस समय मरलवल क कषण सवर दसर नकट क गल स सनई पड-" बचच क बहलनवल, मरलयवल! " रहण इस सनकर मन-ह-मन कहन लग-और सवर कस मठ ह इसक! बहत दन तक रहण क मरलवल क वह मठ सवर और उसक बचच क परत व सनहसकत बत यद आत रह महन-क-महन आए और चल गए फर मरलवल न आय धर-धर उसक समत भ कषण ह गई
आठ मस क बद -
सरद क दन थ रहण सनन करक मकन क छत पर चढकर आजनलबत कश-रश सख रह थ इस समय नच क गल म सनई पड-"बचच क बहलनवल, मठईवल"
मठईवल क सवर उसक लए परचत थ, झट स रहण नच उतर आई उस समय उसक पत मकन म नह थ ह, उनक वदध दद थ रहण उनक नकट आकर बल-दद, चनन-मनन क लए मठई लन ह जर कमर म चलकर ठहरओ म उधर कस जऊ, कई आत न ह जर हटकर म भ चक क ओट म बठ रहग"
दद उठकर कमर म आकर बल- ए मठईवल, इधर आन"
मठईवल नकट आ गय बल-कतन मठई द म? य नए तरह क मठइय ह-रग-बरग, कछ-कछ खटट कछ-कछ मठ, जयकदर, बड दर तक मह म टकत ह जलद नह घलत बचच बड चव स चसत ह इन गण क सव य खस भ दर करत ह! कतन द? चपट, गल. पहलदर गलय ह पस क सलह दत ह"
दद बल- "सलह त बहत कम हत ह, भल पचस त दत मठईवलनह दद, अधक नह द सकत इतन भ दत ह, यह अब म तमह कय खर, म अधक न द सकग"
रहण दद क पस ह थ बल-"दद, फर भ कफ ससत द रह ह चर पस क ल ल यह पस रह"
मठईवल मठइय गनन लग
त चर क द द अचछ, पचचस नह सह, बस ह द अर ह, म बढ हई मलभव अब मझ जयद करन आत भ नह"
कहत हए दद क पपल मह स जर स मसकरहट फट नकल
रहण न दद स कह-दद, इसस पछ. तम इस शहर म और कभ भ आए थ य पहल बर आए ह? यह क नवस त तम ह नह"
दद न इस कथन क दहरन क चषट क ह थ क मठईवल न उततर दय पहल बर नह और भ कई बर आ चक ह"
रहण चक क आड ह स बल-"पहल यह मठई बचत हए आए थ य और कई चज लकर?"
मठईवल हरष, सशय और वसमयद भव म डबकर बल-"इसस पहल मरल लकर आय थ और उसस भ पहल खलन लकर
रहण क अनमन ठक नकल अब त वह उसस और भ कछ बत पछन क लए असथर ह उठ वह बल-"इन वयवसय म भल तमह कय मलत हग?"
वह बल, मलत भल कय ह! यह खनभर क मल जत ह कभ नह भ मलत ह पर ह; सतष, धरज और कभ-कभ असम सख जरर मलत ह और यह म चहत भ ह"
स कस? वह भ बतओ"
'अब वयरथ उन बत क कय चरच कर? उनह आप जन ह द उन बत क सनकर आपक दख ह हग"
'जब इतन बतय ह, तब और भ बत द म बहत उतसक ह तमहर हरज न हग मठई म और भ ल लग
रहण न अब मठईवल क ओर दख उसक आख आसओ स तर ह इस समय चनन मनन आ गए रहण स लपटकर, उसक आचल पकडकर बल-अमम, मठई!'
"मझस ल" यह कहकर, ततकल कगज क द पडय, मठइय स भर, मठईवल न चनन-मनन क द द
रहण न भतर स पस फक दए
मठईवल न पट उठई और कह- अब इस बर य पस न लग
दद बल - "अर-अर, न न अपन पस लए ज भई!"
तब तक आग फर सनई पड उस परकर मदक-मदल सवर म-" बचच क बहलनवल मठईवल
- भगवतपरसद वजपय